सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

तेनालीरामा की कहानी: स्वर्ग की खोज (Tenali Rama Story: Heaven On Earth)

       

तेनालीरामा की कहानी: स्वर्ग की खोज (Tenali Rama Story: Heaven On Earth)

       Top] 3 Tenali Ramakrishna Stories in Hindi - Hindi Story | Latest ...                     

                                                

                दो महीने बीतने के बाद, महाराज कृष्णदेव राय तेनालीराम को दरबार में बुलवाते हैं और स्वर्ग के बारे में पूछते हैं. तेनालीराम कहते हैं कि उन्होंने स्वर्ग ढूंढ लिया है और वे कल सुबह स्वर्ग देखने के लिए प्रस्थान करेंगे.


अगले दिन तेनालीराम, महाराज और उनके खास मंत्रीगणों को एक सुंदर स्थान पर ले जाते हैं, वहां खूब हरियाली, ख़ूबसूरत फूल, चहचहाते पक्षी और वातावरण को शुद्ध करने वाले पेड़ पौधे होते हैं. वहां का सौंदर्य देख महाराज बहुत खुश होते हैं, पर उनके अन्य मंत्री गण स्वर्ग देखने की बात महाराज कृष्णदेव राय को याद दिलाते हैं.
महाराज कृष्णदेव राय भी तेनालीराम से कहते हैं कि भले ही ये जगह बेहद सुन्दर है, लेकिन बात तो स्वर्ग को खोजने की हुई थी. तेनालीराम कहते हैं कि जब हमारी पृथ्वी पर अलौकिक सौन्दर्य, फल, फूल, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी है, फिर स्वर्ग भी यहीं है, कहीं और स्वर्ग की कामना क्यों? जबकि स्वर्ग जैसी कोई जगह है भी इसका कोई प्रमाण नहीं है.
महाराज कृष्णदेव राय को चतुर तेनालीराम की बात समझ आ जाती है और वो उनकी खूब तारीफ़ भी करते हैं. बाकी मंत्री ईर्ष्या के मारे महाराज को दस हज़ार सोने के सिक्कों की याद दिलाते हैं. तब महाराज तेनालीराम से पूछते हैं कि उन्होंने उन सिक्को का क्या किया?
तेनालीराम कहते हैं कि आपने जो दस हजार सोने के सिक्के दिये थे उनसे मैंने इस जगह से उत्तम पौधे और उच्च कोटी के बीज खरीदे हैं. जिनको हम अपने राज्य विजयनगर की जमीन में बोयेंगे, ताकि हमारा राज्य भी इस सुंदर स्थान की तरह आकर्षक और उपजाऊ बन जाए.
महाराज इस बात से और भी प्रसन्न हो जाते हैं और तेनालीराम को ढेरों इनाम देते हैं और बाकी मंत्री मुंह लटका लेते हैं.

तेनालीरामा की कहानी: स्वर्ग की खोज ...

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Daanveer karn

  कृष्ण  ने भी कर्ण को सबसे बड़ा   माना है।  अर्जुन  ने एक बार कृष्ण से पूछा की सब कर्ण की इतनी प्रशांसा क्यों करते हैं? तब कृष्ण ने दो पर्वतों को सोने में बदल दिया और अर्जुन से कहा के इस सोने को गांव वालों में बांट दो। अर्जुन ने सारे गांव वालों को बुलाया और पर्वत काट-काट कर देने लगे और कुछ समय बाद थक कर बैठ गए। तब कृष्ण ने कर्ण को बुलाया और सोने को बांटने के लिए कहा, तो कर्ण ने बिना कुछ सोचे समझे गांव वालों को कह दिया के ये सारा सोना गांव वालों का है और वे इसे आपस में बांट ले। तब कृष्ण ने अर्जुन को समझाया के कर्ण दान करने से पहले अपने हित के बारे में नहीं सोचता। इसी बात के कारण उन्हें सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है। 1. कवच और कुंडल  : भगवान कृष्ण यह भली-भांति जानते थे कि जब तक कर्ण के पास उसका कवच और कुंडल है, तब तक उसे कोई नहीं मार सकता। ऐसे में अर्जुन की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं। उधर देवराज इन्द्र भी चिंतित थे, क्योंकि अर्जुन उनका पुत्र था। भगवान कृष्ण और देवराज इन्द्र दोनों जानते थे कि जब तक कर्ण के पास पैदायशी कवच और कुंडल हैं, वह युद्ध में अजेय रहे...
लड़का है जो भेड़िया सा रोया एक गाँव के लड़कों में से एक को भेड़ों की देखभाल के लिए खेतों में भेजा गया था। "ध्यान रखें कि आप उनकी देखभाल करें और उन्हें रहने न दें," ग्रामीणों ने उससे कहा। "और भेड़ियों के लिए अच्छा देखो। दूर मत जाओ: और यदि आप भेड़ के पास भेड़िये को आते हुए देखते हैं, तो जितना हो सके 'भेड़िया' चिल्लाओ, और हम आपकी मदद करने के लिए एक बार आएंगे। " "ठीक है मैंने" लड़के ने कहा, "मैं सावधान रहूँगा।" इसलिए, वह हर सुबह अपनी भेड़ों को पहाड़ी पर ले जाता था और पूरे दिन उन्हें देखता रहता था। और जब साँझ हुई, तो उसे फिर घर भगा दिया। लेकिन कुछ दिनों के बाद वह इस एकाकी जीवन से ऊब गया। कुछ नहीं हुआ और कोई भेड़िये नहीं आए। तो एक दोपहर उसने अपने आप से कहा: “इन ग्रामीणों ने मुझे बहुत बेवकूफी भरा काम दिया है। मुझे लगता है कि मैं सिर्फ मनोरंजन के लिए उन पर एक चाल चलूंगा।" इसलिए वह उठा और जितना हो सके चिल्लाने लगा, “भेड़िया! भेड़िया!" गाँव के लोगों ने उसकी बात सुनी, और वे तुरंत लाठी लेकर दौड़े चले आए। "भेड़िया! भेड़िया!" लड़के ...

[ताल प्राप्त]

[ताल प्राप्त] वाई  युधिष्ठिर चिंता और प्यास में अपने भाइयों की प्रतीक्षा कर रहे थे।  "क्या वे शापित हो सकते हैं या वे अभी भी जंगल में भटक रहे हैं, उन्हें ढूंढ रहे हैं ol को उम्मीद है कि वह उन्हें पा सकता है।  युधिष्ठिर उस दिशा में चल पड़े, जब उनके भाई अपने भाइयों को ले गए थे और जंगली भालू से भरे रास्ते से गुजर रहे थे और बड़े जंगल के हिरणों और पक्षियों को टहल रहे थे, जब तक कि वह एक सुंदर हरी घास का मैदान नहीं आ गया था;  साफ पानी के एक पूल के आसपास।  लेकिन जब उसने अपने भाइयों को एक झंडे की तरह वहाँ पड़ा देखा, तो अपने दुःख को रोकने में असमर्थ, उसने अपनी आवाज़ उठाई और रोने लगा।                                                                                                                 ...